जिसे गुरु नानक जयंती के रूप में भी जाना जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती का सम्मान करने के लिए दुनिया भर के सिखों द्वारा मनाया जाने वाला एक शुभ अवसर है। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, यह खुशी का त्योहार कार्तिक महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ता है।
गुरुपुरब एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो हिंदू धर्म के अंतर्गत आता है, और यह गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता है। इस दिन को गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो सिख धर्म के प्रमुख संस्थापक और पहला गुरु थे। उन्होंने अपने जीवन में मानवता, समाजिक न्याय, और धार्मिक ज्ञान की महत्वपूर्ण बातें सिखाई।
गुरुपर्व का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह न केवल गुरु नानक देव जी के जन्म का स्मरण कराता है बल्कि उनकी गहन शिक्षाओं और आध्यात्मिक ज्ञान की याद भी दिलाता है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं में समानता, निस्वार्थ सेवा और परमात्मा के प्रति समर्पण के महत्व पर जोर दिया गया। उनकी शिक्षाएँ लाखों लोगों को धार्मिकता और करुणा का जीवन जीने के लिए प्रेरित करती रहती हैं।
क्यो मनाया जाता है :-
गुरुपर्व के सबसे उल्लेखनीय पहलुओं में से एक लंगर है, एक सामुदायिक रसोई जहां जाति, पंथ या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना सभी को मुफ्त भोजन परोसा जाता है। इस परंपरा की शुरुआत स्वयं गुरु नानक देव जी ने की थी, जो बाधाओं को तोड़ने और समानता को बढ़ावा देने के महत्व में विश्वास करते थे। लंगर एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है, जहां विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग समान रूप से भोजन साझा करने के लिए एक साथ आते हैं
कहा कहा मनाया जाता है :-
गुरुपर्व न केवल गुरुद्वारों में बल्कि घरों और दुनिया भर के सिख समुदायों में भी मनाया जाता है। भक्त नगर कीर्तन, जुलूस में भाग लेते हैं जिसमें भजन गाते हैं और सिख ध्वज, जिसे निशान साहिब के नाम से जाना जाता है, ले जाते हैं। ये जीवंत जुलूस गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का संदेश व्यापक समुदाय तक फैलाते हैं, सद्भाव और समझ को बढ़ावा देते हैं।
गुरु पर्व कैसे मनाते हैं
भारतीय संस्कृति में गुरु को बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गुरु पूरब एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो गुरुओं के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। यह त्योहार भक्तों के लिए गुरु की महिमा और उनके आदर्शों को याद करने का एक अवसर है। गुरु पूरब का महत्व उसके भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु पूरब के दिन, लोग अपने प्रिय गुरुओं को नमन करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण प्रकट करते हैं। यह एक आदर्श अवसर है जब छात्र अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त कर सकते हैं और उनके द्वारा सिखाए गए मूल्यों को समझ सकते हैं। गुरु पूरब का उत्सव विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। यह दिन संगत के साथ साझा की जाने वाली परंपराओं, पूजा-अर्चना और भक्ति गायन के रूप में मनाया जाता है। गुरुद्वारे में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें गुरु की कथा सुनी जाती है और कीर्तन किया जाता है। गुरु पूरब के दिन लोग अपने गुरुओं की प्रतिमा और फोटो की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। वे ध्यान और प्रार्थना करते हैं और उनके उपदेशों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके अलावा, गुरु पूरब पर भक्तों को भोजन और पानी का प्रबंध करना, संगत की सेवा करना, दान-धर्म करना और अन्य नेक काम करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन सभी रीति-रिवाजों के माध्यम से गुरु पूरब के महत्व को स्मरण किया जाता है और गुरु के आदर्शों को अपनाया जाता है। गुरु पूरब का महत्व उसकी परंपराओं, शिक्षा के प्रणेताओं और गुरु शिष्य परंपराओं को जीवित रखने का एक अवसर है। इस दिन को मनाकर, हम अपने जीवन में गुरु के मार्गदर्शन को स्मरण करते हैं और उनकी सिखायी हुई सभी महत्वपूर्ण बातें अपनाते हैं। गुरु पूरब हमें धार्मिकता, आदर्शों, समर्पण और सेवा की महत्ता को याद दिलाता है।इस तरह, गुरु पूरब एक महत्वपूर्ण और आदर्शिक पर्व है जो हमें गुरु की महिमा को याद रखने और उनकी शिक्षाओं को अपनाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन पर हमें अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उनके प्रभाव को अपने जीवन में जीवित रखने का संकल्प लेना चाहिए।
गुरुपुरब के मौके पर, सिख समुदाय अपने गुरुद्वारों में भक्ति और प्रार्थना का आयोजन करता है। गुरुद्वारों में कीर्तन का आयोजन भी होता है, जिसमें सिख धर्म के ग्रंथ साहिब के बानी का पाठ किया जाता है। इसके अलावा, गुरुपुरब के दिन लंगर (सामाजिक भोजन) का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी वर्गों के लोग बिना भेदभाव के भोजन करते हैं। यह समय है जब समुदाय के लोग एक साथ आते हैं और एक एक से मिलकर एकता और सामाजिक समरसता का संदेश देते हैं।
गुरुपर्व के दौरान, भक्त विशेष प्रार्थना और कीर्तन (भक्ति गायन) में भाग लेने के लिए गुरुद्वारों (सिख मंदिरों) में इकट्ठा होते हैं। वातावरण भक्ति और श्रद्धा से भर जाता है क्योंकि गुरु ग्रंथ साहिब (सिख पवित्र ग्रंथ) के भजन गाए जाते हैं, जो गुरु नानक देव जी द्वारा दिए गए दिव्य ज्ञान को दर्शाते हैं।
गुरु पर्व का महत्व
गुरु पर्व गुरु-शिष्य संबंध के सम्मान और महत्व को दर्शाता है। गुरु शिष्य का संबंध एक पवित्र और समर्पित संबंध होता है जहां गुरु छात्र को ज्ञान, मार्गदर्शन, और समस्याओं का समाधान प्रदान करता है। गुरु पर्व इस संबंध की महिमा को प्रशंसा करता है और छात्रों को गुरुओं के प्रति आदरभाव और समर्पण को अभिव्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है। गुरु पर्व गुरुओं के महत्व को प्रशंसा करने का अवसर प्रदान करता है। गुरु जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो छात्र को ज्ञान, संदेश, मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है। इस दिन छात्रों को अपने गुरुओं के प्रति आदरभाव और विश्वास का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। यह पर्व ज्ञान की महिमा को प्रमोट करता है। यह दिन छात्रों को ज्ञान की प्राप्ति के लिए गुरुओं की आराधना और आशीर्वाद का समय होता है। छात्रों को गुरुओं के प्रति समर्पण और विश्वास का प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है और वे ज्ञान के प्रतीक गुरुओं के प्रति आदरभाव और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं।
गुरुपुरब का महत्व गुरु और शिष्य के संबंधों को महत्वपूर्ण बनाता है और यह धार्मिकता, मानवता, और सामाजिक न्याय के महत्व को प्रमोट करता है। यह त्योहार सिख समुदाय के लगों के लिए गर्व का प्रतीक है और उन्हें अपने गुरुओं और धर्म के मूल्यों का पालन करने का प्रोत्साहित करता है।
गुरुपुरब
1. *महत्व*: गुरुपुरब, हिंदू धर्म में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका को याद करने का त्योहार है। यह गुरु और शिष्य के संबंधों का महत्व मानता है।
2. *समय और तिथि*: गुरुपुरब हर साल नवम्बर और दिसंबर के बीच मनाया जाता है, जो कि गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के आसपास होता है।
3. *गुरु नानक देव जी*: गुरुपुरब का प्रमुख पात्र गुरु नानक देव होते हैं, जो सिख धर्म के प्रमुख संस्थापक थे। उन्होंने धार्मिक तथा सामाजिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
4. *पर्व कार्यक्रम*: गुरुपुरब के मौके पर, सिख समुदाय गुरुद्वारों में भक्ति, कीर्तन, पाठ, और लंगर (सामाजिक भोजन) का आयोजन करता है।
5. *सेवा और दान*: गुरुपुरब के दिन लोग दान और दया की भावना से कार्य करते हैं, और गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का प्रयास करते हैं।
6. *सांग एंड कथा*: गुरुद्वारों में कीर्तन (धार्मिक गान) और कथा (कहानियों की प्रवचन) का आयोजन होता है, जो गुरु नानक देव जी के जीवन और संदेश को साझा करता है।
7. *गति का पालन*: गुरुपुरब के दिन, सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारों का दर्शन करने आते हैं और वहाँ धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
गुरुपुरब एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो सिख समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, और यह सिख धर्म के मूल्यों और शिक्षाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
धार्मिक पहलू के अलावा गुरुपर्व आत्मचिंतन और आत्मनिरीक्षण का भी समय है। यह व्यक्तियों के लिए गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को आत्मसात करने और उन्हें अपने दैनिक जीवन में शामिल करने का एक अवसर है। यह त्यौहार लोगों को करुणा, विनम्रता और निस्वार्थ सेवा का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज को बढ़ावा मिलता है।
गुरुपर्व आध्यात्मिक ज्ञान की शक्ति और व्यक्तियों और समुदायों पर पड़ने वाले परिवर्तनकारी प्रभाव की याद दिलाता है। यह एक ऐसा उत्सव है जो सीमाओं से परे जाकर लोगों को एकजुट करता है और प्रेम, शांति और समानता के सार्वभौमिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।
पर्व का इतिहास महर्षि व्यास के संबंध में है, जिन्हें हिंदू धर्म में महान गुरु माना जाता है। व्यास जी महर्षि वेद व्यास के नाम से भी जाने जाते हैं और महाभारत के रचयिता माने जाते हैं। उन्होंने महाभारत की रचना की थी और वेदों को व्यासीय व्याख्यान के रूप में संकलित किया था। व्यास जी को सर्वश्रेष्ठ गुरु माना जाता है, और गुरु पूर्णिमा उन्हें समर्पित है। इस दिन लोग गुरुओं के चरणों में चढ़ाई करते हैं, उन्हें बधाई देते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। छात्रों द्वारा गुरुओं को गुरुदक्षिणा दी जाती है और उनके द्वारा निर्धारित धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लिया जाता है। इसके अलावा, लोग विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों का आयोजन करते हैं और गुरुओं को विशेष भोजन और भक्ति भोजन प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष, गुरुपर्व एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती का जश्न मनाता है। यह उनकी शिक्षाओं पर विचार करने, प्रार्थनाओं और कीर्तनों में भाग लेने और निस्वार्थ सेवा के कार्यों में संलग्न होने का समय है। यह खुशी का उत्सव न केवल सिख समुदाय को मजबूत करता है बल्कि व्यापक दुनिया में प्रेम, करुणा और समानता का संदेश भी फैलाता है।