हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसमें स्त्रियाँ अपने सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
क्या होती है हरतालिका तीज -
हरतालिका तीज, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है और यह व्रत महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसे भादों के महीने की शुक्ल पक्ष की तीसरी तारीक को मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा और अपने सुहाग की लंबी आयु की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इसका महत्व इस दिन कम उम्र की लड़कियों के लिए भी बड़ा होता है, जिन्हें इस व्रत का महत्व समझाया जाता है।
हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं।
इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत सम्पन्न जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन अनुसार वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शङ्कर के लिए रखा था। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शङ्कर की पूजा करती हैं।
हरतालिका तीज की कहानी: पार्वती की भक्ति और समर्पण की प्रतीक
यह व्रत अच्छे पति की कामना से एवं पति की लम्बी उम्र के लिए किया जाता हैं.
शिव जी ने माता पार्वती को विस्तार से इस व्रत का महत्व समझाया – माता गौरा ने सती के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया . बचपन से ही पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में चाहती थी. जिसके लिए पार्वती जी ने कठोर ताप किया उन्होंने कड़कती ठण्ड में पानी में खड़े रहकर, गर्मी में यज्ञ के सामने बैठकर यज्ञ किया. बारिश में जल में रहकर कठोर तपस्या की. बारह वर्षो तक निराहार पत्तो को खाकर पार्वती जी ने व्रत किया.
उनकी इस निष्ठा से प्रभावित होकर भगवान् विष्णु ने हिमालय से पार्वती जी का हाथ विवाह हेतु माँगा. जिससे हिमालय बहुत प्रसन्न हुए. और पार्वती को विवाह की बात बताई. जिससे पार्वती दुखी हो गई. और अपनी व्यथा सखी से कही और जीवन त्याग देने की बात कहने लगी. जिस पर सखी ने कहा यह वक्त ऐसी सोच का नहीं हैं और सखी पार्वती को हर कर वन में ले गई. जहाँ पार्वती ने छिपकर तपस्या की. जहाँ पार्वती को शिव ने आशीर्वाद दिया और पति रूप में मिलने का वर दिया. हिमालय ने बहुत खोजा पर पार्वती ना मिली. बहुत वक्त बाद जब पार्वती मिली तब हिमालय ने इस दुःख एवं तपस्या का कारण पूछा तब पार्वती ने अपने दिल की बात पिता से कही. इसके बाद पुत्री हठ के करण पिता हिमालय ने पार्वती का विवाह शिव जी से तय किया.
कैसे किया जाता है व्रत -
हरतालिका तीज (hartalika teej) पर माता पार्वती और भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत को सभी व्रतों में सबसे कठिन व्रत माना गया है। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का नियम है। हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ना नही चाहिए और प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए। हरतालिका तीज (hartalika teej) व्रत के दिन रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन किया जाना चाहिए। इस व्रत को कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां या विधवा महिलाएं भी रख सकती है। इस दिन प्रात काल उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए तथा मन में व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद साफ मिट्टी में गंगा जल मिलाकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा बनानी चाहिए। इसके बाद सभी महिलाओं को एक थाली में अपने सुहाग की सामग्रियों को एकत्रित करके माता पार्वती को अर्पण करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाना चाहिए। यह सुहाग सामग्री बड़ों के चरण स्पर्श करने के बाद किसी गरीब को दान देना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद सभी आराध्य देवी-देवताओं की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए और हरतालिका तीज की कथा सुननी या पढ़नी चाहिए और रात्रि जागरण करना चाहिए।
इस वर्ष कब है हरतालिका तीज -
इस वर्ष हरतालिका तीज 18 सितम्बर 2023, सोमवार के दिन रहेगी