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क्यों बनाया जाता है रक्षाबंधन ? रक्षाबंधन से जुड़ी विस्तृत जानकारी पढ़ें |

रक्षाबंधन भारतीय सनातन संस्कृति का एक महत्व पूर्ण त्यौहार है, यह त्यौहार पुरे भारत वर्ष में बड़े ही धूम धाम से बनाया जाता है | रक्षा बंधन बहनो और भाइयो के स्नेह का त्यौहार है, जिसमें बहनें अपने भाइयों का रक्षा सूत्र बांधती है और भाई, बहनों की रक्षा करने का वचन देते है | 


कब मनाया जाता है: 

रक्षाबंधन हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा को बनाया जाता है. इस बार रक्षा बंधन 30 अगस्त 2023 को बनाया जायेगा.


कैसे बनाया जाता है: 

रक्षाबंधन के दिन बहिन अपने भाइयो के हाथों में राखी ( जिसे रक्षा सूत्र कहते है ), बांधती है.

रक्षा सूत्र बांधने से पहले बहने अपने भाइयों को तिलक लगाती है. तिलक लगने के बाद रक्षा सूत्र बांधती है, और रक्षा सूत्र बांधने के बाद शुभता के लिए मिठाईया खिलाती है, और भाइयो के सुखी और दीर्घयु जीवन की कामना भगवान से करती है | इसके फलस्वरूप, भाई, अपनी बहन को उपहार स्वररूप कुछ सामग्री देते है तथा जीवन पर्यन्त उनकी रक्षा करने का वचन भी देते वचन देते है.इस प्रकार रक्षा बंधन बड़े ही सौहार्द पूर्ण एंड स्नेह के भाव के साथ बनाई जाती ह


क्यों बनाया जाता है: 

स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार असुरराज दानवीर राजा बली ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था | स्वर्ग को असुरो से मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन अवतार लिया और कुछ समय पश्चात ब्राह्मण के वेश में राजा बली के द्वार भिक्षा मांगने पहुंच गए।


राज बली महान दानवीर थे, उन्होंने वचन दिया कि आप जो भी मांगोगे मैं वह आपको दे दूंगा। भगवान ने बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि की मांग ली। बली ने तत्काल हां कर दी, क्योंकि तीन पग ही भूमि तो देना थी। लेकिन तब भगवान वामन ने अपना विशालरूप प्रकट किया और दो पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नाप लिया, फिर पूछा कि राजन अब बताइये कि तीसरा पग कहां रखूं?इस पर दानवीर राजा बली ने कहा, भगवन आप मेरे सिर पर रख लीजिए और फिर भगवान ने राजा बली को रसातल का राजा बनाकर अजर-अमर होने का वरदान दे दिया। लेकिन बली ने इस वरदान के साथ ही अपनी भक्ति के बल पर भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया।


भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गए और वे वहीं रसातल में बली के साथ रहने लगे । इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गई और नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया। तब लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आईं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में हैं।

2 years ago,भारत,by: admin